करवा चौथ
जन्म जन्म का साथ
"अपने मन की
बात सुनीऊं
आज मैं करवा चौथ
मनाऊं
प्यार से भरी थाली
सजाकर
" प्रिय! तुझको पास
बुलाकर
अंगना में उतरेगा चांद
मुझको अपने
स्नेह में बांध
प्रेम की गंगा बहा दो
राग ऐसा गुनगुना दो।"
" नैनो के
नीर का विसर्जन
आज मुझे हो गऐ स्वर्ग
के दर्शन
तुझको पाकर
पावन हुई
सुधि - सौगातें
सुद में डूबा दिल का
एक एक कोना है
मेरा मूंगा - माणिक
चांदी - सोना है
चांद - सी मूर्त निहारी
अंखियों से प्यारी"
"तुम"ने तो
जीत लिया है
मन को
मैं तो हो गया बलिधारी
भगवान से
मांगू मैं
अपना साथ
लो डालो
हाथ में हाथ
जन्म - जन्म का
साथ निभाऊं
आज मैं प्रिय
करवा चौथ मनाऊं।"
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